केंद्रीय जल आयोग
केन्द्रीय जल आयोग देश के भीतर जल संसाधन के क्षेत्र में एक मुख्य तकनीकी संगठन है और यह बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई, नौसंचालन, पेयजल आपूर्ति तथा जल विद्युत विकास के लिए सम्बन्धित राज्य सरकारों के परामर्श से पूरे देश में जल संसाधनों के नियंत्रण, संरक्षण और उनके उपयोग के लिए योजनाएं शुरू करने, समन्वय करने तथा उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सामान्य रूप से जिम्मेदार है।
इसकी स्थापना 1945 में सरकार द्वारा वायसराय की कार्यकारी परिषद में सदस्य (श्रम) डॉ बीआर अंबेडकर की सलाह पर की गई थी।
यह आयोग जल संसाधन क्षेत्र में निम्न महत्वपूर्ण क्रियाकलापों में प्रवृत्त हैः
राष्ट्रीय संदर्श योजना और बेसिन-वार मास्टर योजना तैयार करना।
नदी घाटियों के विकास के लिए सर्वेक्षण, जांच तथा योजनाओं के डिजाइन।
जल संसाधन परियोजनाओं का तकनीकी-आर्थिक-मूल्यांकन।
अन्तर्राज्यीय जल बंटवारा/विवादों से सम्बन्धित मामले।
परियोजना प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास तथा पुनर्स्थापना सहित पर्यावरणीय पक्ष।
जल संसाधन क्षेत्र में सुदूर संवेदी तकनीकों का अनुप्रयोग।
त्वरित कार्यान्वयन और समय पर कार्य की समाप्ति सुनिश्चित करने के लिए परियोजना मानीटरिंग।
निर्माण उपस्कर आयोजना और संयंत्र ले-आउट।
परियोजनाओं के विस्तृत जल वैज्ञानिक अध्ययन।
जल वैज्ञानिक, जल मौसम-वैज्ञानिक, तलछट तथा जल गुणवत्ता आंकड़ों का संग्रह, मिलान और प्रकाशन।
बाढ़ प्रबन्ध और बाढ़ पूर्वानुमान प्रणाली का विकास तथा प्रचालन।
आकारिकी अध्ययन, तट/तटीय संरक्षण के लिए योजनाएं तथा संगत स्थिति विषयक रिपोर्टें और नियम पुस्तिकाएं तैयार करना।
मौजूदा बांधों के सुरक्षा पहलुओं का अध्ययन, सम्बन्धित क्रियाविधियां / दिशानिर्देश जारी करना तथा इन्स्ट्रुमेंट्स की मानीटरिंग।
अनुसंधान और विकास क्रियाकलापों में समन्वय।